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FIR क्या होती है और क्यों ज़रूरी है?

FIR यानी First Information Report एक ऐसा कानूनी दस्तावेज़ है जिसमें पुलिस को अपराध की पहली सूचना दी जाती है। गंभीर मामलों (जैसे चोरी, मारपीट, बलात्कार, हत्या) में इसकी ज़रूरत होती है।

FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया:

  1. नज़दीकी थाने जाएं: उस जगह का थाना चुनें जहाँ अपराध हुआ।
  2. घटना की पूरी जानकारी दें: कब, कहाँ, कैसे – सब विस्तार से बताएं।
  3. FIR लिखवाएं और पढ़ें: FIR को ध्यान से पढ़ें और गलती हो तो सुधार करवाएं।
  4. FIR नंबर और कॉपी लें: FIR की एक कॉपी माँगना आपका हक है – यह मुफ्त में मिलती है।

FIR न दर्ज करने पर क्या करें?

  • SP या SSP को शिकायत करें
  • मजिस्ट्रेट के पास आवेदन दें (धारा 156(3) CrPC)

FIR दर्ज कराने से जुड़ी सावधानियाँ:

  • झूठी शिकायत करना एक दंडनीय अपराध है
  • किसी से बदला लेने की नीयत से FIR न करें

ध्यान दें: FIR केवल संज्ञेय अपराधों में दर्ज होती है।

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