भारत
का संवैधानिक विकास: हर भारतीय के सपनों की कहानी
परिचय
भारत का संवैधानिक विकास एक ऐसी कहानी है, जो हर भारतीय के सपनों और संघर्षों को दर्शाती है। यह केवल कानूनी दस्तावेजों और नियमों का निर्माण नहीं, बल्कि भारतीय समाज की विविधता, इतिहास और संस्कृति का प्रतिबिंब है। इस यात्रा की शुरुआत 16वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन और भारत में उनके व्यापारिक उद्देश्यों से हुई। धीरे-धीरे यह व्यापारिक संगठन एक राजनीतिक शक्ति में बदल गया, जिसने भारत के प्रशासनिक और संवैधानिक ढांचे को प्रभावित किया।संवैधानिक विकास का यह सफर स्वतंत्रता संग्राम, क्रांतिकारी आंदोलनों और भारतीय जनता की इच्छाशक्ति से प्रेरित रहा। चार्टर एक्ट, रेग्युलेटिंग एक्ट, और अन्य कानूनी दस्तावेजों ने प्रशासनिक व्यवस्था को दिशा दी। अंततः, स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संप्रभु गणराज्य के रूप में स्थापित किया।
यह कहानी केवल संविधान की नींव की नहीं, बल्कि भारतीय जनता के अधिकारों, कर्तव्यों और मूल्यों को संजोने की भी है। "भारत का संवैधानिक विकास" हर भारतीय के सपनों और संघर्षों की गाथा है, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
भारत का संवैधानिक विकास
भारतीय संविधान के विकास का काल ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना से प्रारभ होता है
सोलहवी शताब्दी में इंग्लैंड में महारानी एलिजावेथ प्रथम का शासन काल था। महारानी के शासन काल को इंग्लैंड के इतिहास का स्वर्णकाल कहा जाता है। जनता सुखी एवं सपन्न थी तथा धन संपदा की कोई कमी नहीं थी समुद्री यात्रा के लिए बड़े-बड़े जहाजों का निर्माण शुरू हो गया था। अंग्रेजों ने जहाजों की मदद से यात्रा शुरू कर दी थी तथा उसी वख्त अंग्रेजों को भारत के बारे में पता चला की भारत में बहुत धन-सम्पत्ति है तथा इसी लालच में अंग्रेज भारत आए।
भारत
मे अंग्रेज सर्वप्रथम हेक्टर नामक व्यापारिक जहाज से आए थे।
- भारत आने वाला प्रथम अंग्रेज जॉन मिल्डेन हॉल था। जॉन मिल्डेन हॉल ईस्ट इंडिया कंपनी का राजदूत था जो भारत स्थल मार्ग से आया था।
- 1599 ई० में
पूर्व के देशों के साथ व्यापार करने के लिए अंग्रेजों ने एक कंपनी का गठन किया
जिसमे कुल 217 व्यापारी सदस्य थे इनके द्वारा स्थापित कंपनी का नाम था गवर्नर एण्ड कंपनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज
- 31 दिसम्बर, 1600 ई में इंग्लैंड की महारानी एलिजावेथ प्रथम ने एक सही फरमान जारी किया कि यह कंपनी 15 वर्षों तक पूर्व के देशों में व्यापार कर सकती है इसी फरमान को चार्टर ऐक्ट 1600 कहा गया।
कंपनी स्थापित करने की प्रष्ठभूमि
- जेम्स प्रथम की आज्ञा से कंपनी ने सन् 1608 ई० में कैप्टन हॉकिंग्स को हेक्टर नामक जहाज से भारत इसलिए भेजा कि वहा मोजूद सम्राट से इजाजत लेकर कंपनी को व्यापारिक सुविधा प्रदान करवाई जाए। और कही भी एक फैक्ट्री खोलने की अनुमति ली जाए।
- कैप्टन हॉकिंग्स सूरत के बंदरगाह पर उतरा उसके बाद अकबर से मिलने आगरा जा पहुचा। आगरा पहुचने पर उसको मालूम हुआ की अकबर की मृत्यु तो 1605 ई० में ही हो चूकी है।
- अकबर के बाद उसका पुत्र जहागीर सम्राट बना है लेकिन वो भी आगरा मे नहीं है अजमेर में है। कैप्टन हॉकिंग्स ने आगरा में ही जहगीर का लौटने तक इंतजार किया तथा वापस आने पर जेम्स प्रथम का पत्र जो अकबर के लिए था वो जहगीर को दिया तथा पत्र का नाम फ्रेंड था तथा भाषा फारसी थी। कैप्टन हॉकिंग्स तुर्की एवं फारसी भाषा का अच्छा ज्ञाता था। जब उसने पत्र पढ़कर जहगीर को सुनाया तो जहागीर बहुत खुश हुआ तथा खुश होकर 400 मनसबदारी गुजरात में प्रदान की तथा खान की उपाधि भी दी।
- कैप्टन हॉकिंग्स ने कंपनी के लिए सूरत में एक फैक्ट्री खोलने की इजाजत जहगीर से मांगी जो जहागीर ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया लेकिन सूरत के सौदागिरो के विरोध के कारण जहागीर को अपना फैसला बदलना पड़ा तथा अपनी दी हुई इजाजत को जहगीर को सौदागिरो के विरोध के कारण वापस लेनी पड़ी।
- कैप्टन हॉकिंग्स को 1611 ई० में आगरा को छोड़कर सूरत वापस आना पड़ा जहा उसे जॉन मिल्डेन के नेतृत्व मे तीन जहाज मिले तथा सूरत के सौदागिरो एवं पूर्तगलियों के विरुद्ध प्रतिहिंसा की नीति अपनाई और पुतगलियों को पराजित किया। इस कार्य से जहगीर बहुत प्रभावित हुआ और सन 1613 ई० में सूरत में फैक्ट्री खोलने की इजाजत दे दी।
- जहगीर ने फैक्ट्री खोलने की इजाजत एक शर्त पर दी थी की अंग्रेज अपने किसी प्रातनिधि को मुगल दरबार में बंधक के रूप में रखेगे। अंग्रेज जहागीर की शर्त का पालन करते हुए फैक्ट्री टॉमस एल्डवर्थ के अधीन खोली गई।
- जब सन् 1608 ई० में कैप्टन हॉकिंग्स जहागीर से फैक्ट्री खोलने की अनुमति प्राप्त नहीं कर सका था तभी 1611 ई० में मसूलीपट्टम में अंग्रेजों ने भारत में प्रथम फैक्ट्री स्थापित की थी। मसूलीपट्टम गोलकुंडा राज्य के अन्तर्गत मुख्य बंदरगाह था तथा पूर्वी तट पर प्रथम कारखाना था तथा पश्चिमी तट पर सूरत में सन् 1613 ई० स्थापित हुआ था।
- 18 सितम्बर 1615 ई में जेम्स प्रथम का पत्र लेकर इस बार सर टॉमस रो सूरत बंदरगाह पर उतरा तथा 10 जनवरी 1616 ई को उसने अजमेर मे जहागीर से मिलकर पत्र दिया इस पत्र का नाम परफ़ेक्ट था।
मिस्टर इलबर्ट के
अनुसार-कंपनी को जो रियायते मुगल शासकों से प्राप्त हुई थी,
उन्होंने कंपनी को भारत में स्थापित कर दिया और ब्रिटिश सम्राट इस
कंपनी के माध्यम से, दूसरी शक्तियों के विरोध में प्रादेशिक
संप्रभु बन गया। अंत में ब्रिटिश सम्राट ही सम्पूर्ण भारत में संप्रभुता रखने लगा
और अधीनस्थ देसी रियासतो का सर्वोच्च अधिकारी बन बैठा ।
1600 ई
का राजलेख सीमाए एवं अधिकार
- कंपनी को सैन्य जहाज रखने और किले बनने की अनुमति मिल गई।
- यह अधिनियम 15 वर्षों के लिए लागू किया गया था लेकिन समय-समय पर इसमे संशोधन किए जाते रहे।
- इस राजलेख द्वारा कंपनी को भारत के अलावा अन्य देशो में व्यापारिक विवाद को निपटाने के लिए कानून बनाए गये।
निष्कर्ष
भारत के संवैधानिक विकास की कहानी न केवल इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार एक व्यापारिक कंपनी ने भारत में अपने पांव जमाए और धीरे-धीरे सत्ता और शासन की ओर अग्रसर हुई। 1600 ई. का चार्टर एक्ट भारत में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन की नींव बन गया।
ईस्ट इंडिया कंपनी के शुरुआती प्रयास, जैसे मसूलीपट्टम और सूरत में फैक्ट्रियों की स्थापना, यह स्पष्ट करते हैं कि व्यापार और कूटनीति के माध्यम से किस तरह अंग्रेजों ने भारत में अपनी स्थिति मजबूत की। जहागीर जैसे मुगल शासकों से मिली रियायतें, सर टॉमस रो और कैप्टन हॉकिंग्स की गतिविधियां, और मुगल दरबार में उनकी उपस्थिति ने भारत में ब्रिटिश प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस यात्रा में स्पष्ट होता है कि कैसे आर्थिक लालच, रणनीतिक कूटनीति और सैन्य ताकत के संयोजन ने भारत में संवैधानिक विकास के नए चरणों की शुरुआत की। यह विकास भारतीय समाज, प्रशासन और कानून व्यवस्था को गहराई से प्रभावित करता रहा और अंततः आधुनिक भारत के संवैधानिक ढांचे की नींव रखने में सहायक बना।
(FAQs)
प्रश्न 1: भारत के संवैधानिक विकास की शुरुआत कब और कैसे हुई?
उत्तर: भारत के संवैधानिक विकास की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना (1599 ई.) और 31 दिसंबर, 1600 ई. को महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा चार्टर एक्ट जारी करने से मानी जाती है।
प्रश्न 2: भारत में आने वाले पहले अंग्रेज कौन थे?
उत्तर: भारत में आने वाले पहले अंग्रेज जॉन मिल्डेन हॉल थे, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के राजदूत के रूप में स्थल मार्ग से भारत आए थे।
प्रश्न 3: ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब और क्यों हुई?
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1599 ई. में पूर्वी देशों के साथ व्यापार करने के लिए हुई। इसे "गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज़" नाम दिया गया।
प्रश्न 4: चार्टर एक्ट 1600 क्या था?
उत्तर: यह 31 दिसंबर, 1600 ई. को महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा जारी एक फरमान था, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी को 15 वर्षों तक पूर्वी देशों में व्यापार करने की अनुमति दी गई।
प्रश्न 5: भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री कहां और कब स्थापित हुई?
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री 1611 ई. में मसूलीपट्टम (पूर्वी तट) में स्थापित हुई। बाद में 1613 ई. में सूरत (पश्चिमी तट) में भी एक फैक्ट्री खोली गई।
प्रश्न 6: कैप्टन हॉकिंग्स को भारत भेजने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: कैप्टन हॉकिंग्स को 1608 ई. में जेम्स प्रथम ने भारत भेजा ताकि वह मुगल सम्राट से व्यापारिक सुविधाओं और फैक्ट्री खोलने की अनुमति प्राप्त कर सके।
प्रश्न 7: कैप्टन हॉकिंग्स को जहागीर ने कौन-कौन सी उपाधियां दीं?
उत्तर: जहागीर ने कैप्टन हॉकिंग्स को 400 मनसबदारी दी और उसे "खान" की उपाधि से सम्मानित किया।
प्रश्न 8: सर टॉमस रो ने भारत में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर: सर टॉमस रो 1615 ई. में जेम्स प्रथम का पत्र लेकर भारत आए। उन्होंने जहागीर से मुलाकात कर कंपनी के लिए व्यापारिक रियायतें हासिल कीं।
प्रश्न 9: कंपनी को सैन्य और कानूनी अधिकार कैसे प्राप्त हुए?
उत्तर: 1600 ई. के चार्टर एक्ट के तहत कंपनी को सैन्य जहाज रखने, किले बनाने, और व्यापारिक विवाद निपटाने के लिए कानून बनाने की अनुमति दी गई।
प्रश्न 10: मिस्टर इलबर्ट ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में क्या कहा?
उत्तर: मिस्टर इलबर्ट के अनुसार, "मुगल शासकों से प्राप्त रियायतों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में स्थापित किया और इसके माध्यम से ब्रिटिश सम्राट ने भारत पर प्रादेशिक संप्रभुता स्थापित कर ली।"
प्रश्न 11: सूरत में फैक्ट्री खोलने की अनुमति कब और क्यों मिली?
उत्तर: सूरत में फैक्ट्री खोलने की अनुमति जहागीर ने 1613 ई. में दी। हालांकि, यह शर्त रखी गई थी कि कंपनी को एक प्रतिनिधि को मुगल दरबार में बंधक के रूप में रखना होगा।
प्रश्न 12: मसूलीपट्टम क्यों महत्वपूर्ण था?